ध्यान करना सीखें -
क्रिया योग से परिचय

परमहंस योगानंदजी ने लिखा था कि, “ध्यान सबसे उच्चतम रूप का कार्य है जो मनुष्य कर सकता है।” यह सबसे कुदरती और फायदेमंद मानवीय कार्यों में से एक है। ध्यान हमें संतुलन, आराम और बढ़ती हुई आंतरिक शांति भी प्रदान करता है।

यह पाठ्यक्रम क्रिया योग के मार्ग का पहला चरण हैं। इस class के बारे में अधिक जानकारी आप ऊपर दिए गए video पर देख सकतें हैं |

Class details:
Date: 24th March 2024 (Sunday)
Time: 13:30 – 15:30 BST

पहले चरण की क्लास के लिए रजिस्टर करें:

शुल्क: £15.00

“इस आतंरिक धर्म का थोड़ा सा भी अभ्यास, व्यक्ति को गंभीर भयों और भारी कष्टों से मुक्त करता है।” 

– भगवान कृष्ण, भगवद् गीता (2:40)

इस class में आप सीखेंगे:

  • क्रिया योग के मार्ग की 2 मुख्य तकनीकें ।
  • हॉन्ग-सॉ तकनीक – एक सरल और शक्तिशाली ध्यान करने की तकनीक।
  • ध्यान के लिए आरामदायक होकर बैठने हेतु सरल सुझाव ।
  • कैसे अपने दैनिक जीवन में शांति और आनन्द का अनुभव करें।
  • योगानंद जी द्वारा दी गयी कुछ प्राण शक्ति संचारक व्यायाम (energization exercises), जो की प्राण शक्ति को नियंत्रण करने और ऊर्जा को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। 

रजिस्टर करने के बाद आपको कोर्स के दौरान मिलेंगे: 

  • हमारे Online App का access 
  • निर्देशित ध्यान साधना (Guided Meditation Sessions) आनंद संघ के mentors के साथ 
  • Videos और PDF आपकी साधना को support करने के लिए
  • Mentor Support – ध्यान और आध्यात्मिक प्रश्नों में आपकी सहायता के लिये 

हमारी प्रेरणा

परमहंस योगानंद (1893-1952)

Masterपरमहंस योगानंद भारत के पहले योग गुरु थे जिन्होंने एक पश्चिमी देश में स्थायी निवास लिया। उनकी लिखित “एक योगी की आत्मकथा”, जो 1946 में छपी थी, ने पश्चिमी देशों में आध्यात्मिक क्रान्ति प्रारंभ की।

आत्मबोध प्राप्त करने के लिए, योगानंद जी ने अपने शिष्यों को क्रिया योग की प्राचीन तकनीक में दीक्षा दी, जिसे उन्होंने “ईश्वर तक पहुँचने का जेट विमान मार्ग” कहा है।

स्वामी क्रियानन्द (1926-2013)

Swamijiस्वामी क्रियानन्द परमहंस योगानंद के प्रत्यक्ष शिष्य और आनन्द संघ के संस्थापक थ। उनकी “सत्य” के लिए गहरी आध्यात्मिक तलाश ने उन्हें , 1948 में 22 साल की कम उम्र में, परमहंस योगानंद जी की “एक योगी की आत्मकथा” को पढ़ने के लिए प्रेरित किया। योगानंद जी ने क्रियानन्द जी को अपनी पहली ही मुलाकात पर अपना शिष्य स्वीकार किया।

स्वामी क्रियानन्द ने 1968 में आनन्द संघ को स्थापित किया। उन्होंने लगभग 150 पुस्तकें लिखीं और 400 से अधिक गीतों और भजनो की रचना की।

आनंद संघ क्या है?

आनन्द संघ एक विश्वव्यापी आध्यात्मिक संस्था है, जो परमहंस योगानंद की शिक्षाएँ साझा करती हैं। आनन्द संघ, अनुभव द्वारा उत्पन्न, इस विश्वास के लिए समर्पित है कि हम सब आनन्दमय जीवन जी सकते हैं और इसे अपनी दैनिक हक़ीक़त बना सकते हैं । हम वे शिक्षाएँ बाँटते  हैं जो आपके स्वयं के बोध को प्रभावशाली रूप से विस्तारण करेगी, जैसे: ध्यान, क्रिया योग, आध्यात्मिक हठ योग एवं दिव्य मित्रता ।

सामान्य प्रश्न

क्रिया योग एक प्राचीन ध्यान की तकनीक है, जिससे हम प्राण शक्ति और अपने श्वास को नियंत्रण में ला सकते हैं। यह तकनीक एक व्यापक आध्यात्मिक जीवन का हिस्सा है, जिसमे शामिल हैं अन्य ध्यान कीं तकनीक एवं सात्विक जीवन शैली। क्रिया योग की तकनीक शतकों तक रहस्य में छिपी हुई थी। यह तकनीक 1861 में  पुनरुज्जीवित हुई जब महान संत महावतार बाबाजी ने यह तकनीक अपने शिष्य लाहिड़ी महाशय को सिखाई। लाहिड़ी महाशय ने फिर यह तकनीक अपने शिष्यों को सिखाई, जिनमे से एक स्वामी श्री युक्तेश्वर जी थे, जिन्होंने अपने शिष्यों को यह तकनीक सिखाई, जिनमे से एक परमहंस योगानंद जी थे। 

योगानंद जी ने फिर अपनी किताब ‘एक योगी की आत्मकथा’ के द्वारा और पश्चिमी देशों में इसके शिक्षण द्वारा क्रिया योग को प्रचलित किया। 

“क्रिया योग से परिचय” इस मार्ग का पहला चरण हैं। क्रिया योग के मार्ग में कुल चार चरण हैं। इन चार चरणों के बारे में आपको क्लास के अंत में जानकारी मिल जाएगी।

क्रिया योग दीक्षा की तैयारी के लिए तकरीबन 8 से 10 महीने लगते है।

लिंक - संपर्क का फॉर्म

आप अपने प्रश्न हमे kriyaseekho@anandaindia.org पे ईमेल भी कर सकते हो।

पहले चरण की क्लास के लिए रजिस्टर करें: