ध्यान करना सीखें

ध्यान की एक सरल तकनीक

  1. प्रार्थना
    अपने ध्यान की साधना को प्रार्थना के साथ शुरू करें, यह आपको ध्यान के उद्देश्य को याद कराएगा। 
  2. स्थिर बैठिये
    शरीर को हिलाने से प्राण-शक्ति मांसपेशियों में चली जाएगी। योग का उदेश्य है प्राण शक्ति को अंदर और ऊपर की ओर मस्तिष्क तक लाना। आप देखेंगे कि समय के साथ शरीर स्थिर होता जाएगा। जितना देर आप आरामदायक रूप से बैठ पाएँ, उतना मन और शरीर की अशांति कम होगी।
  3. ऑंखें बंद होनी चाहियें और दृष्टि आरामदायक रूप से ज़रा उठी होनी चाहिए, जैसे कि आप एक बाँह की दूरी पर एवं सिर के ऊपर के स्तर पर देख रहें हो। ध्यान के पूरे दौरान दृष्टि को ऐसे आरामदायक रूप से भौहों के बीच के बिन्दु पर उठने से इस पर प्राण शक्ति आकर्षित होगी। इस क्षेत्र को “आध्यात्मिक नेत्र” कहते  हैं, यह आध्यात्मिक जागृति का बिन्दु है।
  4. कसने और शिथिल होने की तकनीक करें
    • नाक से श्वास लें, एक छोटी और एक बड़ी श्वास  (दोहरी श्वास) के साथ और साथ मे स्वयं के मांशपेशियों को धीरे धीरे कसे 
    • श्वास और तनाव को 5 सेकंड तक पकड़ कर रखें    
    • फिर मुँह और नाक दोनों से श्वास छोड़ें, एक छोटी और एक बड़ी श्वास के साथ (दोहरी श्वास)
    • ऐसा करते हुए तनाव शरीर से पूर्ण रूप से हटाइए
    • तीन से छह बार दोहराएँ
  5. समान गिनती का प्राणायाम
    • 8 की गिनती तक धीरे धीरे श्वास अंदर लें
    • फिर भौहों के मध्य बिन्दु पर ध्यान केंद्रित कर 8 की गिनती तक श्वास को रोकें
    • और फिर 8 की गिनती तक श्वास धीरे धीरे बहार छोड़ें।
    • श्वास छोड़ने के बाद श्वास न रोकें, फिरसे यह तकनीक दोहराएँ।
    • तीन से छह बार दोहराएँ।
    • गिनती सम होनी चाहिए चाहे वे 6 -6 -6 हो या 10 -10 -10 । 
  6. हॉन्ग – सॉ तकनीक (Hong – Sau Technique)
    अब श्वास को बिना नियंत्रित करे उस पर केवल ध्यान दीजिये। श्वास के अंदर आने पर मन में उसके साथ बोलें “हॉन्ग (Hong)” और श्वास के बाहर जाने पर मन में उसके साथ बोलें “सॉ(Sau)”। दृष्टि आरामदायक रूप से भौहों के मध्य बिन्दु पर उठी होनी चाहिए। यदि आप पाते हैं कि आपका मन भटक गया है, तो इसे श्वास और हॉन्ग – सॉ मंत्र की सजगता पर फिर से वापस ले आएँ। इस तकनीक का अभ्यास कुछ मिनट तक करें।
  7. शांति में बैठिए 
    हॉन्ग – सॉ की तकनीक को समाप्त करने के लिए एक गहरी श्वास ले और तीन बार मुँह से छोड़िये। फिर श्वास को भूल जाइए। मन को भौहों के बीच के बिंदु (आध्यात्मिक नेत्र) पर केंद्रित करें और अभ्यास द्वारा उतपन शांति में केंद्रित हो जाइए। कुछ मिनट तक बैठने के बाद, दुनिया के लिए प्रार्थना कर और समाप्त करें