ईसा मसीह
“आप अपने ईश्वर, अपने भगवान को प्रेम करेंगे, अपने पूरे ह्रदय से, और अपनी पूरी आत्मा से, और अपने पूरे मन से, और अपनी पूरी शक्ति से, यह पलहा धर्मादेश है।”
-मार्क 12:30
परमहंस योगानंद जी ने कई बार दोहराया कि उनके महान कार्यों में से एक था “मौलिक ईसाई धर्म” को पुनर्जीवित करना जैसे येशु ने सिखाया था और “मौलिक योग” को पुनर्जीवित करना जैसे कृष्ण ने सिखाया था, और इन दोनों के बीच की बुनियादी एकता को दर्शाना। योगानंद जी ने घोषित किया कि बाबाजी-कृष्ण और ईसा मसीह ने मिलकर योगानंद जी द्वारा आत्मबोध की शिक्षा को लोगों तक पहुँचाया जिससे लोग सीखें कैसे ईश्वर के साथ दिव्य ध्यान के माध्यम से प्रत्यक्ष निजी सम्बन्ध बनाना है। योगानंद जी के अनुसार, ईसा मसीह खुद अपने भक्तों को क्रिया योग जैसी तकनीक सिखाते थे।
तीन ज्ञानी व्यक्ति
“बाबाजी, लाहिड़ी महाशय और श्री युक्तेश्वर जी” योगानंद जी ने बताया, “वह तीन ज्ञानी व्यक्ति थे जोकि नन्हे येशु से मिलने उनके जन्म चरनी आए। जब येशु बड़े होगए, वे वापस मिलने आए। शतकों बाद, साम्प्रदायिक धर्माधिकारिओं ने येशु के इस भारत में आने का वर्णन बाइबल के नए नियम किताब से निकाल दिया इस डर से कि इस बात को डालने से येशु की महानता विश्व की नज़र में कम न होजाए। – ‘नया पथ ’नमक किताब से
येशु ने योगानंद जी को विशवास दिया
एक बार योगानंद जी ने येशु से प्रार्थना करी कि वे विशवास दें कि वे उनके सिद्धांतों का स्पष्टीकरण ठीक से कर रहे हैं। येशु दिव्य दृष्टि में उनके सामने आए, पवित्र प्याले के साथ, और उन्होंने अपने होंठों से प्याला योगानंद जी के होंठों पर दे दिया। फिर योगानंद जी ने कहा, कि येशु ने यह दिव्य विशवास के शब्द कहे: “जिस प्याले से मैं पीता हों, उसी से तुम पीते हो” – ‘नया पथ ’नमक किताब से
ईसा मसीह वेदी पर क्यों हैं?
“क्या ऐसा करने का कोई राजनीतिक कारण था” एक नवागंतुक ने पुछा, “कि आपने ईसा मसीह को अपने वेदी पर रखा- क्यूंकि अमरीका मूख्य रुप से ईसाई देश हैं?”
“नहीं, यह कारण नहीं था,” योगानंद जी ने जवाब दिया। “ईसा मसीह हमारे पाँच गुरुओं की वंशावली में से एक हैं।”
“किस तरह से?” नवागंतुक ने आगे पुछा। ” और आपने उन्हें बीच में क्यों रखा हैं?”
“वह ईसा मसीह थे,” गुरु ने समझाया, “जो बाबाजी के सामने हिमालयों में प्रकट हुए और पश्चिमी देशों में यह संदेश भेजने का निवेदन किया। “मेरे भक्त”, उन्होंने कहा, “अच्छे कार्य कर रहें हैं, लेकिन वे ईश्वर के साथ आंतरिक रूप से जुड़ना भूल रहें हैं। साथ में चालों हम दोनों पश्चिमी देशों में किसी को भेजते हैं, जो उन्हें ध्यान करना सिखएगा।”
“इसी कारण से मुझे भेजा गया था। येशु वेदी के बीच में इसलिए हैं क्यूंकि यह संदेश उनके द्वारा शुरू हुआ था। उनके बायें में बाबाजी हैं, फिर बाबाजी के शिष्य लाहिड़ी महाशय। दाएँ में स्वामी श्री युक्तेश्वर जी हैं, और फिर उनके शिष्य, जिनको- मेरे गुरु जी ने बताया- बाबाजी ने उनके पास प्रशिक्षण के लिए भेजा था।
– ‘’परमहंस योगानंद के साथ वार्तालाप’ नमक किताब से