प्राण शक्ति संचारक व्यायाम
(Energization Exercises)
ये व्यायाम परमहंस योगानन्दजी का योग विज्ञान को एक अनुपम योगदान हैं। प्राण-शक्ति के प्रवाह को शरीर के विभिन्न भागों में पहुँचाने के लिए ये एकाग्रता, इच्छा और श्वास के संगम का प्रयोग करते हैं। शरीर के जिस भाग का हम पुनर्भरण (recharge) करना चाहते हैं उसकी माँसपेशियों को कसने और फिर शिथिल करने द्वारा इस प्रवाह को भेजा और वापिस लाया जाता है।
परमहंस योगानन्दजी ने बताया कि हम प्राण को अप्रत्यक्ष रूप से भोजन, आक्सीजन और सूर्य के प्रकाश द्वारा पाने में सक्षम हैं। परन्तु प्राण-शक्ति के यह अप्रत्यक्ष स्त्रोत उस पानी की तरह हैं जो आप अपनी कार की बैटरी में डालते हैं। जब बैटरी का चार्ज समाप्त हो जाता है, तो पानी की कोई भी मात्रा इसे पुनः कार्यरत नहीं कर पाती। आपको बैटरी को किसी अन्य स्त्रोत से पुनर्भरित (recharge) करना होता है। इसी प्रकार, योगानन्दजी ने बताया, हमारा शरीर भी केवल अप्रत्यक्ष रूप से भोजन से जीवित रहता है, लेकिन हम प्रत्यक्ष रूप से उस ब्रह्माण्डीय प्राण-शक्ति से जीवित हैं जो हमारे मस्तिष्क के निचले भाग में स्थित मेडूला ऑब्लांगाटा (Medulla Oblongata) से हमारे शरीर में प्रवेश करती है।
यह कक्षा निःशुल्क है। कृपया यहाँ रजिस्टर करें –