अवरोध या अवसर

जुलाई 10, 2020

 

हमने अभी अभी आनंद संघ के लंबे इतिहास में सबसे उल्लेखनीय सप्ताहों में से एक सप्ताह समाप्त किया है। पिछले सप्ताह हमने विश्वव्यापी ऑनलाइन आध्यात्मिक नवीनीकरण सप्ताह आयोजित किया। यह कार्यक्रम आनंद संघ में एक परंपरा है, जो पिछले ५० वर्षों से ज़्यादा से चलते हुए हमारे कार्य की जड़ों तक जाती है।

प्रारंभिक दिनों में, स्वामी क्रियानंद हर गतिविधि का नेतृत्व करते थे : साधना, कक्षाएँ और सन्ध्याकालीन मनोरंजन। किंतु इस सप्ताह, हमारे पास ४० से ज्यादा अध्यापक थे जो विश्व भर के आनंद संघ के केंद्रों और समुदायों के द्वारा योगदान दे रहें थे। और हम अब तक के सबसे ज़्यादा श्रोताओ तक पहुँच पाए: दो हज़ार से कुछ ज़्यादा। आगे आने वाले महीनों एवं वर्षों में और भी बहुत अधिक लोग इन रिकॉर्ड किए हुए कार्यक्रमों को देखेंगे। यह एक बड़ी और आश्चर्यजनक उपलब्धि थी।

पिछले वर्ष इस समय हमारे यहाँ आनंद विलेज, उत्तरी कैलीफोर्निया में बड़ी सभा हुई थी। तब हमारी पचासवीं वर्षगाँठ थी और हम इसे हमारे नए मंदिर “टेम्पल ऑफ़ लाइट” को समर्पित भी कर रहेथे। सारी दुनिया से (आनंद संघ से) लगभग १००० लोग यहाँ उपस्थित थे , और हम आशा कर रहे थे कि इसे; जो एक नई प्रथा की शुरुआत लग रही थी, जारी रखेंगे और इस वर्षभी ऐसा ही करेंगे। फिर आया कोरोना वायरस !

यदि पिछले साल कोई हमसे कहता कि इस साल हम इकट्ठे नहीं हो पायेंगे, तो शायद हम इसे एक बड़ी विपत्ति की तरह ही देखते। यदि वेबताते कि इसके फलस्वरूप हम इससे कहीं ज़्यादा बड़ी सभा कर पायेंगे, तो हम उसे उसका भ्रम दूर करने के लिए किसी अच्छे चिकित्सक के पास जाने की सलाह देते। इससे ज़्यादा तर्क के परे हम क्या सोच सकते थे।

हमें रुक कर परमहंस योगानंद के शिक्षण को याद करना चाहिए था; “कोई बाधाएं नहीं होती, सिर्फ़ अवसर होते हैं।” ख़ुशक़िस्मती से यह सिद्धान्त आनंद संघ समूह के लोगों के हृदय और मन में गहराई से आरोपित है, इसलिए जैसे ही वायरस आया हमने तुरंत समाधान खोजना आरंभ कर दिया। बड़ा स्पष्ट कदम यह था कि हम हमारे ऑनलाइन कोर्सेस बढ़ा दें। समस्त विश्व के हमारे आनंद संघ के केंद्रों नेतुरंत यहीं करना आरंभ कर दिया और फलस्वरूप आज हमारे कोर्स और कार्यक्रमों से जुड़ने और इनमें उपस्थित रहने वाले शिष्यों की संख्या दो सेतीन गुनी हो गई।

यहाँ हमें क्या शिक्षा मिलती है? जैसे ही समस्या आती है, तुरंत समाधान खोजना आरंभ करें। उसके बारे में चिंता करके या नकारात्मकता को अपनेमन और प्रयासों पर हावी होनेदेकर समय बरबाद न करें।

हाल ही में मैंने एक ऐसे व्यक्ति का एक प्रेरक वीडियो देखा, जो बिना हाथ और पैरों के पैदा हुआ था। फिर भी उसने इस तथ्य को अपना पथ अवरूद्ध नहीं करने दिया। उसने शानदार चीजें सीखीं : तैरना, गॉल्फ़ खेलना और सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण, दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करना। एक नवयुवक के तौर पर, उसने तय किया कि उसे आगे बढ़ने से कुछ भी नहीं रोक सकता। आज, वह आनंद से परिपूर्ण, एक प्रेरक वक्ता है, जो बड़ी संख्या में लोगों को, ख़ास कर किशोर वय के बच्चों को प्रेरित करता है। वह कहता है, “ऐसा लगभग कुछ भी नहीं है जो मैं नहीं कर सकता” और “यदि बिना हाथ, पैरों वाला व्यक्ति बड़े सपने देख सकता है, तो हम क्यों नहीं, हम सब क्यों नहीं ?”

एक अतिशय कठिन ‘अवरोध ’ का उपयोग करके, उसे अवसर में बदलने की यह इस व्यक्ति की एक असाधारण कहानी है।

आपको और मुझे इस चुनौती का सामना नहीं करना पड़ेगा, परंतु, यह सुनिश्चित है कि आध्यात्मिक रूप से आगे बढ़ने के लिए जिन कार्मिक परीक्षाओ की हमें ज़रूरत है, उनका सामना हमें करना ही पड़ेगा।

इस प्रक्रिया में पहला कदम है स्वीकृति, न की बहाने बनाते हुए समय को बर्बाद करना और न ही भाग जानेका प्रयास करना। अवरोध को अवसर की तरह स्वीकार करें, और आप नई ऊँ चाइयों तक पहुँच पायेंगे।

आनंद संघ के लिए पिछला सप्ताह इस दृष्टिकोण की अवधारणा का सबूत था। यह आनंद संघ को मज़बूत, गहन, और ज़्यादा सेवाभावी बनाएगा।

स्वीकृति और कृतज्ञता में,

नयास्वामी ज्योतिष

नयास्वामी ज्योतिष

नयास्वामी ज्योतिष 1967 में अमरीका में स्वामी क्रियानन्द जी के शिष्य बने। उसके तुरंत बाद वे स्वामी क्रियानन्द जी की अनेक तरह से सहायता करने लगे, जिसमे शामिल था ध्यान के पाठ्यक्रम में पड़ना। स्वामी क्रियानन्द जी के साथ काम कर, नयास्वामी ज्योतिष, आनन्द संघ के अमरीका में समुदाय के संस्थापक सदस्य बने।

स्वामी क्रियानन्द जी के 2013 में इस दुनिया से जाने के बाद, नयास्वामी ज्योतिष जी को क्रियानन्द जी द्वारा नियुक्त उनके आध्यात्मिक उत्तराधिकारी उपाधित किया गया। ज्योतिष जी स्वामी क्रियानन्द जी से 1966 में मिले थे। उन्होनें क्रियानन्द जी के साथ और अपनी धर्मपत्नी देवी जी (जोकि 1969 में आनन्द संघ आयीं) के साथ घनिष्ठ रूप से मेहनत कर, आनन्द संघ के कार्य का विश्व भर में निर्माण किया। नयास्वामी ज्योतिष और देवी क्रियानन्द जी द्वारा क्रियाचार्य उपाधित किये गयें हैं। वे दोनों परमहंस योगानंद जी के वंशावली द्वारा दी गयी प्राचीन मुक्तिदान करने वाली क्रिया योग की तकनीक का प्रचार करतें हैं।

स्वामी क्रियानन्द जी की वसीयत और वीरासत यह कहतें हैं कि वह नव-रत्न कंगन, जिसे स्वामी क्रियानन्द जी ने आनन्द संघ के धर्माचार्य के रूप में पहना था, उसे “उनके आध्यात्मिक उत्तराधिकारी पहनेंगे एवं आगे आने वाले सभी उत्तराधिकारी पहनेंगें ।”

अमरीका में आनन्द संघ के समुदाय, आनन्द ग्राम, में 19 मई, 2013 में एक सरल धार्मिक रस्म के दौरान नयास्वामी ज्योतिष ने औपचारिक रूप से यह नव-रत्न कंगन स्वीकार किया। यह उनके स्वामी क्रियानन्द जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी के नए पद को दर्शाता है।