आनंद संघ - जयपुर

क्रिया योग सीखें

परमहंस योगानंदजी ने लिखा था कि, "ध्यान सबसे उच्चतम रूप का कार्य है जो मनुष्य कर सकता है।

यह सबसे कुदरती और फायदेमंद मानवीय कार्यों में से एक है। ध्यान हमें संतुलन, आराम और बढ़ती हुई आंतरिक शांति भी प्रदान करता है।

यह पाठ्यक्रम क्रिया योग के मार्ग के चार चरणो में से पहला चरण हैं। आप इसे एक स्वसंपूर्ण ‘ध्यान करना सीखें’ पाठ्यक्रम की तरह भी कर सकते है।

क्रिया योग के मार्ग के बारे में अधिक जानकारी इस पृष्ठ के अंत में दी गई हैं।

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नोट करे: यह क्लास जयपुर के ध्यान केंद्र पर होगी।

क्लास का दिन और समय: 13 November (रविवार), शाम 3:00 से 6:00 बजे।

केंद्र का पता: B-23, Thakur Niwas, Bank Officer's Campus, Near Royal Mart, Ramnagariya, Jagatpura, Jaipur, Rajasthan - 302017

गूगल मैप पर पता: https://goo.gl/maps/i3Pzgy2iQiscWNbLA

"इस आतंरिक धर्म का थोड़ा सा भी अभ्यास, व्यक्ति को गंभीर भयों और भारी कष्टों से मुक्त करता है।" 

- भगवान कृष्ण, भगवद् गीता (2:40)

इस 3 घंटे की क्लास में आप सीखेंगे:

  • क्रिया योग के मार्ग की 2 मुख्य तकनीकें
  • हॉन्ग-सॉ तकनीक - एक सरल और शक्तिशाली ध्यान की तकनीक।
  • ध्यान के लिए आरामदायक होकर बैठने हेतु सरल सुझाव
  • कैसे अपने दैनिक जीवन में शांति और आनन्द का अनुभव करें।
  • प्राण शक्ति को नियंत्रण और ऊर्जा को बढ़ाने के लिए योगानंद जी के प्राण शक्ति संचारक व्यायाम। 

ध्यान और क्रिया योग के सम्बंध में आप अपने प्रश्न सेशन के दौरान पूछ सकेंगे। सेशन के बाद हम आपसे कुछ PDF और Video साझा करेंगे जिससे आप सीखी हुई तकनीकों का खुद से अभ्यास कर सकें।

हमारी प्रेरणा

परमहंस योगानंद (1893-1952)

परमहंस योगानंद भारत के पहले योग गुरु थे जिन्होंने एक पश्चिमी देश में स्थायी निवास लिया। उनकी लिखितएक योगी की आत्मकथा”, जो 1946 में छपी थी, ने पश्चिमी देशों में आध्यात्मिक क्रान्ति प्रारंभ की।

आत्मबोध प्राप्त करने के लिए, योगानंद जी ने अपने शिष्यों को क्रिया योग की प्राचीन तकनीक में दीक्षा दी, जिसे उन्होंनेईश्वर तक पहुँचने का जेट विमान मार्गकहा है।

स्वामी क्रियानन्द (1926-2013)

स्वामी क्रियानन्द परमहंस योगानंद के प्रत्यक्ष शिष्य और आनन्द संघ के संस्थापक थे। उनकीसत्यके लिए गहरी आध्यात्मिक तलाश ने उन्हें , 1948 में 22 साल की कम उम्र में, परमहंस योगानंद जी कीएक योगी की आत्मकथाको पढ़ने के लिए प्रेरित किया। योगानंद जी ने क्रियानन्द जी को अपनी पहली ही मुलाकात पर अपना शिष्य स्वीकार किया।

स्वामी क्रियानन्द ने 1968 में आनन्द संघ को स्थापित किया। उन्होंने लगभग 150 पुस्तकें लिखीं और 400 से अधिक गीतों और भजनो की रचना की।

आनंद संघ क्या है?

आनन्द संघ एक विश्वव्यापी आध्यात्मिक संस्था है, जो परमहंस योगानंद की शिक्षाएँ साझा करती हैं। आनन्द संघ, अनुभव द्वारा उत्पन्न, इस विश्वास के लिए समर्पित है कि हम सब आनन्दमय जीवन जी सकते हैं और इसे अपनी दैनिक हक़ीक़त बना सकते हैं हम वे शिक्षाएँ बाँटते  हैं जो आपके स्वयं के बोध को प्रभावशाली रूप से विस्तारण करेगी, जैसे: ध्यान, क्रिया योग, आध्यात्मिक हठ योग एवं दिव्य मित्रता 

सामान्य प्रश्न


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